उत्तराखंड की राजधानी को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक बड़ा ऐलान कर दिया है। बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री रावत ने यह ऐलान कर दिया कि उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण होगी।
उत्तराखंड में राजधानी का मुद्दा जनता की भावनाओं से जुड़ा है। इस पहाड़ी राज्य के गठन के बाद से ही प्रदेश में पहाड़ की राजधानी पहाड़ में ही बनाए जाने की मांग जोर-शोर से उठती रही हैं। राज्य निर्माण के आंदोलन के समय से ही गैरसैंण को राजधानी मान लिया गया था। यही वजह है कि कांग्रेस और भाजपा की सरकारें गैरसैंण के दावे को कभी खारिज नहीं कर पाई।
कांग्रेस सरकार के दौरान जब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गैरसैंण में विधानमंडल भवन बनाया तब उन पर भी राजधानी घोषित करने का दबाव बना था। लेकिन उन्होंने घोषणा नहीं की। राजनीतिक आंदोलन से जुड़ा एक वर्ग नौ नवम्बर सन् 2000 को उत्तराखण्ड राज्य के गठन के बाद से ही गैरसैंण को उत्तराखण्ड राज्य की स्थायी राजधानी बनाए जाने की मांग कर रहा है और अब अस्थायी ही सही ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर मुख्यमंत्री और वर्तमान सरकार ने एक शुरूआत तो कर ही दी है।
गैरसैंण भाजपा के संकल्प पत्र में शामिल अहम मुद्दा था
वैसे आपको बता दें कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का मुद्दा भाजपा के चुनावी संकल्प का हिस्सा था। भाजपा ने अपने चुनाव संकल्प पत्र में इस मुद्दे को शामिल किया था। राज्य की त्रिवेंद्र सरकार सत्ता में अपने तीन साल पूरे करने जा रही है और इस मौके पर उन्होने अपने चुनावी वायदों को पूरा करने का ऐलान कर ही दिया।
गैरसैंण का भूगोल और इतिहास
गैरसैंण उत्तराखंड के बिल्कुल मध्य में स्थित है । इसलिए उत्तराखण्ड राज्य की स्थाई राजधानी को लेकर इसका दावा सबसे मजबूत है। पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड की राजधानी के तौर पर गैरसैंण का नाम 60 के दशक से ही उभरने लगा था जब इस राज्य के निर्माण की संभावना आंदोलनकारियों को दूर-दूर तक नजर नहीं आती थी। सबसे पहले 60 के दशक में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने गैरसैंण का नाम प्रस्तावित पहाड़ी राज्य की राजधानी के लिए आगे किया था। उत्तराखण्ड राज्य का आंदोलन जब अपने चरम पर था , उस समय भी गैरसैंण को ही राज्य की प्रस्तावित राजधानी माना गया।
सन 1989 में डीडी पंत और विपिन त्रिपाठी ने गैरसैंण को उत्तराखंड की प्रस्तावित राजधानी के रूप में शामिल किया था। उत्तराखण्ड क्रान्ति दल ने तो सन् 1992 में गैरसैंण को उत्तराखण्ड की औपचारिक राजधानी तक घोषित कर दिया था। सन् 2000 में उत्तराखंड के गठन के बाद से गैरसैंण को राजधानी बनाने को लेकर भी आंदोलन चल रहा है।