यह मौसम प्यार का है। चॉकलेट डे , हग डे , किस दे के बाद आखिरकार आज वैलेंटाइन डे भी आ ही गया। आज दुनियाभर में प्रेम के नाम पर यह दिन जोर-शोर से मनाया जाएगा। भारत में भी युवा वर्ग की बड़ी तादाद प्यार के इस खास दिन को लेकर बड़ी उत्साहित रहती है। हालांकि भारत में इसे लेकर एक खास तबका हमेशा से ही विरोध करता आया है। वैसे भी भारतीय संस्कृति और परंपरा में प्रेम को किसी खास दिन से बांधा नहीं जाता।
लेकिन इस खास दिन पर हम आपको बताने जा रहे हैं देश के सबसे कामयाब और दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में शामिल प्रसिद्ध भारतीय उद्योगपति रतन टाटा के प्यार की कहानी.…उनके अधूरे प्यार की कहानी जिसे खुद उन्होंने दुनिया के सामने शेयर की है।
दरअसल रतन टाटा ने फेसबुक पेज ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे पर अपनी प्रेम कहानी का दुनिया के सामने खुलासा किया है। तीन सीरीज़ की अपनी कहानी में उन्होंने अपने बचपन , पढ़ाई , कॉलेज के दिनों की यादें, माता-पिता के अलग होने के साथ-साथ अपने प्यार के बारे में बेहद ही मार्मिक अंदाज में बयां किया है।
कैसा बचपन गुजरा था रतन टाटा का
अपनी कहानी की पहली सीरीज में उन्होंने अपने बचपन के बारे में बताया।उन्होंने बताया कि उनका बचपन काफी खुशहाल था। वे बेहद खुश थे , मस्ती करते थे लेकिन अचानक उनके माता-पिता के तलाक की वजह से उनकी जिंदगी में निराशा आ गई। दरअसल , 10 साल की छोटी उम्र में ही रतन टाटा के पिता नवल टाटा और मां सोनी का तलाक हो गया था। इसके बाद उनके बचपन में एक ठहराव सा आ गया, निराशा ने घर कर लिया।
दादी ने सिखाया प्रतिष्ठा बड़ी चीज होती है
अपनी पोस्ट में दादी को याद करते हुए उन्होंने लिखा कि दादी ने ही उन्हें सिखाया की वैल्यूज यानि मूल्य और सिद्धान्त क्या होते हैं ? दादी ने ही उन्हें सिखाया की क्या करना चाहिए , क्या नहीं करना चाहिए ? किस बारे में रिएक्ट करना चाहिए और किस बारे में शांत रहना चाहिए? गर्मियों की छुट्टी के दौरान दादी के साथ लंदन की यादों को साझा करते हुए उन्होंने लिखा कि दादी ने ही उनके दिमाग में डाला कि प्रतिष्ठा सबसे ऊपर की चीज होती है।
रतन टाटा के अधूरे प्यार की मार्मिक कहानी
देश के असंख्य युवाओं की तरह रतन टाटा को भी जवानी के दिनों में प्यार हो गया था। रतन टाटा को लॉस एंजेलिस की एक खूबसूरत लड़की से प्यार हो गया। रतन टाटा उस लड़की से शादी करने का प्लान बना चुके थे।लेकिन दादी की तबियत अचानक खराब होने से उन्हें भारत लौटना पड़ा।
उस समय रतन टाटा ने सोचा कि दादी की तबियत ठीक होने पर वो घर वालों से बात करेंगे और अपने प्यार को अपने देश , अपने घर ले आएंगे लेकिन यह किस्मत को मंजूर नहीं था। वो साल 1962 था , चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया था। भारत-चीन की लड़ाई अपने चरम पर थी और रतन टाटा के माता-पिता नहीं चाहते थे कि वो लड़की भारत आये।
जिंदगी भला दूसरा मौका कब देती है , किसे देती है इसलिए रतन टाटा के जीवन में भी वो दूसरा मौका नहीं आया, कभी नहीं आया और रतन टाटा का प्यार अधूरा रह गया , हमेशा के लिए। वो दिन है और आज का दिन है , रतन टाटा आज भी अकेले है….अकेले।