बच्चों के लिए खतरनाक है मोबाइल , WHO ने जारी की चेतावनी

अगर आपको भी बच्चों को मोबाइल पकड़ाने की है आदत , तो यह खबर आप ही के लिए है।

आज के समय मे मोबाइल फोन लगभग हम सभी की जरूरत बन गई हैं। दुनिया भर में इस समय मोबाइल के उपभोक्ताओं की संख्या 50 करोड़ के आंकड़े को भी पार कर गई है । व्यस्क ही नहीं बल्कि बच्चे भी मोबाइल फोन के इस्तेमाल के बिना रह नहीं पा रहे हैं। हद तो यह है कि माता-पिता भी अपने काम में व्यस्त रहने की वजह से बच्चों को बिजी रखने के लिए मोबाइन फोन पकड़ा देते हैं। माता-पिता को यह लगता है कि बच्चे मोबाइल में बिजी रहेंगे तो उन्हे परेशान नहीं करेंगे। अगर आपको भी बच्चों को मोबाइल पकड़ाने की आदत है तो यह खबर आप ही के लिए है।

वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गनाइजेशन यानी WHO ने चेतावनी देते हुए कहा है कि , छोटे बच्चों के लिए दिन में एक घंटे से ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना, टीवी देखना या कंप्यूटर पर गेम खेलना हानिकारक है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि एक साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन को देखना बहुत ही खतरनाक है।

WHO ने हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट में 5 साल से कम उम्र के बच्चों का स्क्रीन टाइम निर्धारित कर दिया है।   अब तक लोगों का सिर्फ ये मानना था कि स्क्रीन के सामने ज्यादा समय बिताने से आंखें खराब होती हैं लेकिन अब यह तथ्य सामने आ रहा है कि इसके परिणाम ज्यादा खतरनाक होते हैं। 5 साल से कम उम्र के बच्चों का निर्धारित समय से ज्यादा स्क्रीन टाइम उनके शारिरिक और मानसिक विकास पर सीधा असर डालता है। इस रिपोर्ट के जरिए WHO ने माता-पिता या अभिभावक को बच्चों को मोबाइल फोन, टीवी स्क्रीन, लैपटॉप और अन्य इलैक्ट्रोनिक उपकरणों से दूर रखने की हिदायत दी है । हालांकि कई जानकार यह मानते हैं कि 8 वर्ष तक की उम्र के बच्चों के लिए मोबाइल खतरनाक ही होता है।

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एक साल से कम उम्र के बच्चों के लिए

एक साल से कम उम्र के बच्चों के लिए जीरो स्क्रीन टाइम निर्धारित किया गया है यानी उन्हें बिलकुल भी स्क्रीन के सामने नहीं रखना चाहिए। इसके अलावा उन्हें दिन में आधा घण्टे पेट के बल लिटाना चाहिए। फर्श पर तरह-तरह के खेल खिलाना भी बच्चों के शारीरिक विकास के लिए बेहतर है।

 

1 से 2 साल के बच्चों के लिए

इस उम्र के बच्चों के लिए दिनभर में स्क्रीन टाइम 1 घण्टे से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही 3 घण्टे फिजिकल एक्टिविटी करने की सलाह भी दी गई है। इस उम्र में बच्चों को कहानी सुनाना उनके मानसिक विकास के लिए फायदेमंद साबित होता है।

 

2 से 4 साल तक के बच्चों के लिए

2 से 4 साल की उम्र के बच्चों के लिए भी दिनभर में ज्यादा से ज्यादा स्क्रीन टाइम 1 घण्टा निर्घारित किया गया है लेकिन इनको अपने से छोटे बच्चों के मुकाबले ज्यादा फिजिकल एक्टिविटीज करने की सलाह दी गई है।

 

बच्चें क्यों हो रहे हैं आक्रामक ?

डॉक्टर भी यह मानते हैं कि बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के मोबाइल और टीवी की बजाय बातचीत बहुत जरुरी है। 5 साल से कम उम्र के बच्चों में कॉगनिटिव स्किल विकसित नहीं हो पाता है। इसका मतलब ये है कि बच्चे सही और गलत में फर्क नहीं कर सकते। वे जो देखते हैं वही सीखते हैं। कई बार देखा गया है कि बच्चे कार्टून की तरह ही बोलने की कोशिश करते हैं। कई माता-पिता ये शिकायत करते नजर आते हैं कि बच्चे बहुत ज्यादा एग्रेसिव हो रहे हैं। अकसर पेरेंट्स बच्चों को खाना खिलाने के लिए भी टीवी के सामने बैठा देते हैं या फिर फोन में कुछ न कुछ लगा कर दे देते हैं। ये बहुत ही गलत प्रेक्टिस है। ऐसे में बच्चों का ध्यान बट जाता है और वे भूख से ज्यादा खाना खा लेते हैं। इस उम्र में बच्चों की इमेजिनेशन तेज होती है। इसलिए पहले लोग बच्चों को कहानियां सुनाया करते थे लेकिन जमाना बदल गया है , पैरेंटस अपने में बिजी हो गए है इसलिए अब पेरेंट्स कहानियां सुनाने की बजाय बच्चों को फोन पकड़ा देते हैं।

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क्या करना चाहिए माता-पिता को ?

 

पैरेंटस को यह ध्यान रखना चाहिए कि कम से कम 8 साल तक के बच्चें फिजिकली एक्टिव रहे , अच्छी नींद जरूर ले। 5 साल तक के बच्चों को मोबाइल और टीवी से बिल्कुल दूर ही रखना चाहिए। बच्चों के गुण का इस्तेमाल करते हुए पैरेंटस को उन्हे किस्सें-कहानी जरूर सुनाने चाहिए। बच्चों के लिए समय निकालना भी पैरेंटस के लिए बहुत जरूरी है।