मकान मालिक और किरायेदारों के बीच लगातार हो रहे विवादों के मद्देनजर सरकार ने नए कानून को मंजूरी दे दी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को इससे जुड़े ‘ उत्तर प्रदेश नगरीय किरायेदारी विनियमन अध्यादेश- 2021 ‘ को मंजूरी दे दी है। इस अध्यादेश को लागू करने से संबंधित प्रस्ताव को शुक्रवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी गई है और अब जल्द ही इस प्रस्ताव को लागू कर दिया जाएगा।
योगी सरकार द्वारा मंजूर किए गए इस अध्यादेश में किरायेदार और मकान मालिक दोनों के हितों की सुरक्षा के प्रावधान किये जाने का दावा किया गया है। दोनों के बीच किसी भी तरह के विवाद के निपटारे के लिए रेंट अथॉरिटी एवं रेंट ट्रिब्यूनल बनाने का प्रावधान इस नए कानून में है। यहां अधिकतम 60 दिनों में वादों का निस्तारण करना जरूरी होगा। हालांकि पुराने मामलों में किराये का पुनरीक्षण किया जा सकेगा।
किरायेदारों के हितों का रखा गया ध्यान
इस नए कानून में किरायेदारों के हितों का पूरा ध्यान रखा गया है। अब उत्तर प्रदेश में मकान मालिक मनमाने तरीके से किराया नहीं बढ़ा पाएंगे। नए कानून के मुताबिक आवासीय पर 5 और गैर आवासीय पर 7 प्रतिशत ही सालाना किराया बढ़ाया जा सकेगा। किराया वृद्धि की गणना चक्रवृद्धि आधार पर होगी। एडवांस के मामले में आवासीय परिसर के लिए सिक्योरिटी डिपॉजिट 2 महीने से अधिक नहीं होगा और गैर आवासीय परिसर के लिए 6 महीने का एडवांस लिया जा सकेगा।
मकान मालिकों के हितों की भी सुरक्षा
नए कानून के मुताबिक कोई भी मकान मालिक बिना अनुबंध के किसी को अपना मकान किराये पर नहीं देगा। अनुबंध के मुताबिक किरायेदार को भी अच्छी तरह से मकान की देखभाल करनी होगी। किरायेदार बिना अनुमति के घर में कोई तोड़-फोड़ नहीं कर पायेगा। नए कानून में मकान मालिक को यह छूट होगी कि अगर किरायेदार 2 महीने तक किराया नहीं दें तो वो अपनी संपत्ति को किरायेदार से खाली करवा सकता है। पुराने किरायेदारों के मामले में यदि लिखित अनुबंध नहीं है तो ऐसा कराने के लिए 3 महीने का समय दिया जाएगा। इसके मुताबिक किरायेदारी की अवधि भी निर्धारित होगी।
मकान मालिक और किरायेदार- दोनों के लिए जानना जरूरी
नए कानून के मुताबिक किरायेदार रखने से पहले मकान मालिक को इसकी सूचना किराया प्राधिकरण को देना अनिवार्य होगा। किराया प्राधिकरण एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर देगा और सूचना प्राप्ति की तिथि से 7 दिनों के अंदर अपनी वेबसाइट पर किरायेदारी की सूचना को अपलोड करेगा।
किरायेदार और मकान मालिक के बीच लिखित अनुबंध को भी अनिवार्य बना दिया गया है। अनुबंध की एक-एक कॉपी दोनों के पास रहेगी। किरायेदार को रसीद भी देनी पड़ेगी। अनुबंध की अवधि के दौरान मकान मालिक किरायेदार को बेदखल नहीं कर सकेगा।
मृत्यु के मामले में उत्तराधिकारियों के अधिकार अनुबंध पत्र की शर्तें मकान मालिक के साथ-साथ किरायेदार के उत्तराधिकारियों पर भी लागू होगी।
हाइकोर्ट ने भी दिया था आदेश
आपको बता दें कि प्रदेश में वर्तमान में ‘ उत्तर प्रदेश शहरी भवन ( किराये पर देने, किराये एवं बेदखली ) विनियमन अधिनियम- 1972 लागू है। लेकिन इसके बावजूद मकान मालिक और किरायेदारों के बीच विवादों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। कोर्ट में लंबित मुकदमों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है और इसे देखते हुए ही सरकार ने यह अध्यादेश लाने का फैसला किया। हाइकोर्ट ने भी प्रदेश सरकार को 11 जनवरी से पहले इस अध्यादेश को लागू करने का निर्देश दिया था।